कल हमारे पंचायत में मुखिया समेत कई पदों के चुनाव होने है और मैं भी गाँव में ही हूँ. पर मुझे कैसे भी कल 10 बजे तक रक्सौल पहुच जाना है. इसलिए मैने चुनाव को बहिष्कार करने का फ़ैसला लिया है और आज रविवार को ही रक्सौल जाने का फ़ैसला किया है क्योंकि शायद कल चुनाव के वजह से बस नहीं मिल पाएगी. ऐसा लोकसभा चुनाव में हुआ था एक बार. और चुनाव बहिष्कार करने का मुख्य कारण चुनाव के परिणाम से चुने गये मुखियाओं का कार्यशैली है. केवल जाति की राजनीति ही करते रह जाते हैं पाँच साल और विकास और समाज को साझने जैसे मुद्दे को नज़रअंदाज कर जाते है. अभी मैं शुक्रवार को ही तो साइट से घर आया था.दीदी भी अपनी शादी के बाद पहली बार घर आई हैं, माँ-पापा, छोटी बहनें और चींकी साथ मैं परिवार के सभी सदस्य बहुत खुश है,यदि जगह बदलें तो दो घरों , गाँवों राज्यों के विचारों के स्तर में अंतर आ ही जाता है, जिसे मैं Thought-Gap कहना पसंद करूँगा. इसी स्थिति से मेरी दीदी 4 फ़रवरी से गुजर रही लेकिन उन्हें देख कर, बात कर के लगता है की उस माहौल में जाकर उन्होनें अपने स्वाभाव के मुताबिक प्रतिक्रियावादी ना होकर चीज़ों को अपने अंदर उतार...