मैने रात में मसान फिल्म को Download पर लगाकर छोड़ दिया और सो गया| सुबह जब उठा तो सबसे पहले मैने मसान फिल्म ही देखी| और तब से मेरा मन बेचैन है, समझ ही नहीं आ रहा है की ऐसा क्यों हो रहा है? तभी मेरे मन ने कहा की Dairy लिख कर अपने से बात कर लो ! May be कुछ शांति मिल जाएँ! और यूँ शुरुआत हो गई महीनो से बंद पड़ी मेरे लेखनी की| दीदी अपने शादी के बाद पहली बार कल घर आ रही है और मैं घर से कोई 150 किमी दूर बैठ कर ब्लॉग लिख रहा हूँ, एक इसका भी दुख है की उनका घर आने पर मैं स्वागत नही कर पा रहा हूँ पर शायद ही मेरी कमी उन्हे कमी खले| क्योंकि मैं ऐसे ही व्यवहार करता हूँ की यदि अचानक से मैं ना रहूं तो मुझे भूलने मे सबको आसानी रहें| कल ही घर से निकला था, मोतिहारी( रक्सौल साइट) आने के लिए, रास्ते मे था की SDO साब का काल आया की मुझे नरकटियगंज आना पड़ेगा वहाँ का DPR बनना है उसके लिए पर मुझे पहुचने मे लेट हो रहा था. इसलिए मैंने सर से बोला की मैं मोतिहारी निकल जा रहा हूँ और आ गया aaj pata nahi kyu mera mann tension nahi lena chahata hai par ye tension baar baar ghumand ghumad ke aa rahe hain. site pr motor-pump ke liye Electric Connection ULB Raxaul ke EO se NBPDCL me apply karwana hai. stand post location ke liye EO ko RAXAUL URBAN W/S SUPPLY SCHEME me bichaaye gaye pipe ka network distribution map banana hain. इतनी भरी दोपहरी में कोई कैसे फील्ड में घूम कर मैप बनाएगा. तभी ध्यान में आता है की सुनील को रक्सौल में बोल देता हूँ जाकर एस.डी.ओ से एल टी कनेक्सन फार्म ले ले, लेकिन उसका फोन आफ आ रहा है, अब बैचनी बढ़ती जाती हैं. तभी ध्यान आता है की 16 अप्रैल के बाद का NewsClip का नोट्स बनाना हैं. कल सुबह जब मैं घर से निकल रहा था तभी पता चला की मेरी भतीजी मोना ने अपने सोने की गले की चैन गुम कर दी है, अब उसकी मम्मी उसे कोशे जा रही थी. बेचारी मोना अजीब तरीके से रोए जा रही थी, आज सुबह से ही उसका रोता चेहरा बार बार ध्यान में आ रहा है और मन को दुखी कर दे रहा हैं. घर जब भी जाता हूँ, कुछ पढ़ने बैठते ही आ जाती है मेरे पास और बोलती है कुछ पढ़ने को दो ना चाचा ! मुझे लगता है की परेशान कर रही हैं इसलिए कभी कभी कुछ बोल देता हूँ लेकिन मुझे ही बुरा लगता है. भगवान इस बच्ची के साथ ही दुनिया के सभी लोगों को खुशी रखे पर स्पेशली इसके लिए यही प्रार्थना करूँगा की इसके सोच को भगवान "वसुधैव कुटुम्बकम' का स्वरुुप प्रदान करे. मैं अपने आस पास इसी सोच का कुटुम्ब चाहता हूँ, मेरे माँ-पापा, बहनें सभी इसी विचारधारा की हैं.
कुछ आत्मिक दुख की अनुभूति भी हो रही है वो इस मायने में की मेरी आत्मा कुछ और चाहती है, प्रकृति के साथ चलना, दौड़ना मुझे पसंद है. पर दो वक्त की रोटी कमाने के चक्कर ने इस यांत्रिक दुनिया से प्रतियोगिता कराते कराते लगभग मुझे भी यंत्रवत बना दिया हैं. उसी से बचने का माध्यम है ब्लॉग लेखन. आज जब नरकटियगंज जाने के असफल प्रयास में बेतिया से वापस आ रहा था तो पता चला की यहीं से कुछ दूरी पर ही एक टाइगर रिजर्व है, दो-तीन बौद्धिक साइट है, उदयपुर में एक पक्षी अभ्यारण्या है. घूमने का मन तो बहुत कर रहा था, पर शरीर थका हुआ था और पर्स में मात्र 50रु ही थे, फिर मैने ATM का पता किया तो बहुत दूर जाना पड़ रहा था. इसलिए मोतिहारी का 30रु का टिकट लिया 20रु का कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद ट्रेन से मोतिहारी आ गया. यहा रेलवे स्टेसन के पास का ATM Cashless था, अब तो जेब में एक पैसा नहीं था, फिर भी हिम्मत करके Auto में बैठा और मीना बाजार में sorry बोल कर उतर गया. यहाँ के ATM पर देखा की लंबी कतार लगी हुई हैं, लग गया मैं भी. पर जाको राखे साईयाँ ............वाली बात यहाँ सत्य नहीं हुई. मैं अभी पाँचवे No. पर ATM में जाने के लिए तैयार बैठा था की अचानक ये ATM भी कैषलेस हो गया. अब क्या किया जा सकता था? अब इतनी हिम्मत नहीं थी की अगले ATM सारी बोल कर आटो से जाउ और कतार में लगने के बाद कहीं वो भी कैषलेस हो जाए. फिर ध्यान आया दो दिन से बैंक बंद है. चलो कल खुलेंगे तो सुबह मे ही आकर निकाल लेंगे. लेकिन आज तेरा क्या होगा कालिया ...........यही सोचते विचरते कमरे पर पहुँचा तो मकान मालिक का पूरा घर 10-12 लोगो से भरा था और उन्होने मेरे पहुचते ही बोल दिया की आज आप होतल मे खाने मत जाइएगा. मैने भी बड़ी जल्दी अपनी स्वीकृति दे दी, बिना किसी संशय के. मैने भी सोचा ये क्या बात हुई भई! क्या ये सब Rhonda Bryne का आकर्षण का सिद्धांत तो नही हैं ना.
खैर कोई दिक्कत नही है कल पैसा निकल लूँगा, लेकिन दुख इस बात का है की तनाव को लिख कर पहचानना पड़ रहा है और लेकिन खुशी की बात ये है की लिखने से समस्याएँ हल होने लगती हैं.
कुछ आत्मिक दुख की अनुभूति भी हो रही है वो इस मायने में की मेरी आत्मा कुछ और चाहती है, प्रकृति के साथ चलना, दौड़ना मुझे पसंद है. पर दो वक्त की रोटी कमाने के चक्कर ने इस यांत्रिक दुनिया से प्रतियोगिता कराते कराते लगभग मुझे भी यंत्रवत बना दिया हैं. उसी से बचने का माध्यम है ब्लॉग लेखन. आज जब नरकटियगंज जाने के असफल प्रयास में बेतिया से वापस आ रहा था तो पता चला की यहीं से कुछ दूरी पर ही एक टाइगर रिजर्व है, दो-तीन बौद्धिक साइट है, उदयपुर में एक पक्षी अभ्यारण्या है. घूमने का मन तो बहुत कर रहा था, पर शरीर थका हुआ था और पर्स में मात्र 50रु ही थे, फिर मैने ATM का पता किया तो बहुत दूर जाना पड़ रहा था. इसलिए मोतिहारी का 30रु का टिकट लिया 20रु का कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद ट्रेन से मोतिहारी आ गया. यहा रेलवे स्टेसन के पास का ATM Cashless था, अब तो जेब में एक पैसा नहीं था, फिर भी हिम्मत करके Auto में बैठा और मीना बाजार में sorry बोल कर उतर गया. यहाँ के ATM पर देखा की लंबी कतार लगी हुई हैं, लग गया मैं भी. पर जाको राखे साईयाँ ............वाली बात यहाँ सत्य नहीं हुई. मैं अभी पाँचवे No. पर ATM में जाने के लिए तैयार बैठा था की अचानक ये ATM भी कैषलेस हो गया. अब क्या किया जा सकता था? अब इतनी हिम्मत नहीं थी की अगले ATM सारी बोल कर आटो से जाउ और कतार में लगने के बाद कहीं वो भी कैषलेस हो जाए. फिर ध्यान आया दो दिन से बैंक बंद है. चलो कल खुलेंगे तो सुबह मे ही आकर निकाल लेंगे. लेकिन आज तेरा क्या होगा कालिया ...........यही सोचते विचरते कमरे पर पहुँचा तो मकान मालिक का पूरा घर 10-12 लोगो से भरा था और उन्होने मेरे पहुचते ही बोल दिया की आज आप होतल मे खाने मत जाइएगा. मैने भी बड़ी जल्दी अपनी स्वीकृति दे दी, बिना किसी संशय के. मैने भी सोचा ये क्या बात हुई भई! क्या ये सब Rhonda Bryne का आकर्षण का सिद्धांत तो नही हैं ना.
खैर कोई दिक्कत नही है कल पैसा निकल लूँगा, लेकिन दुख इस बात का है की तनाव को लिख कर पहचानना पड़ रहा है और लेकिन खुशी की बात ये है की लिखने से समस्याएँ हल होने लगती हैं.