आज के दिन मै उन सभी लोगों को दिल की गहराई से धन्यवाद देना चाहता हूँ, जिनसे मेरा अस्तित्व है, जिनसे मेरी अपनी दुनिया है, जिनसे मेरी ख़ुशी है . क्योंकि इसके बिना तो कुछ सोचा ही नहीं जा सकता. उन सबमें अगर कोइ ज्यादा ख़ास है तो मेरे माता-पिता. जीवन के इन बीत चुके वर्षों में अगर कुछ अच्छा पाया है तो वो है 'हर दिन कुछ नये अनुभव', उन अनुभवों को पाने में सहायक बने सभी साथियों की भी दिल से धन्यवाद. अब रजनीश सभी प्राप्त अनुभवों, घूम चुके जगहों, मिल चुके लोगों और लगभग 9855 सुबह- शामों का अजीब मिश्रण है. अभी भी इतना लचीला की जीवन में अभी भी प्रत्याशित सभी अनुभवों को समाहित कर लेने के लिए तैयार. अभी भी इतना घूमना है, इतने लोगो से मिलना है और इतने सुबह शामों का गवाह बनना है की आज तक के अनुभव एक दहाई से भी कम पड़े. मै क्या लिखने वाला हूँ मुझे इसका खुद आभास नहीं है. लिखने से अन्दर का दुःख-दर्द एवं बाहर की बैचैनी कम होती है और किसी को परेशान भी नहीं करता. मिश्रित भाव लिए सबको धन्यवाद ज्ञापन करने के बाद अभी लिखने बैठा हूँ. उम्र का ये ऐसा मोड़ है की जन्मदिन ज्यादा नकारात्मतक भाव ही ला रही है, ...