मेरा AMIE और BA दोनों का EXAM चल रहा है इसलिए कल फादर्स डे के मौके पर कुछ लिख नही पाया पर आज मेरा EXAM ओवर हो गया तो सोचा आज लिखूंगा और अब लिख रहा हूँ...............
मेरे पापा शिक्षक होने के साथ साथ एक एक महान पापा है. मुझे ऐसा यकीन है की मेरे पापा मेरे लिए और पुरें परिवार के लिए कुछ भी कर सकते है और मैं भी उनके लिए और पूरे परिवार के लिए कुछ भी कर सकता हूँ. मुझे अपने पापा और माँ से जितना प्यार है शायद उतना किसी और से नही, पर मैं उन लोगों को इसका अहसास नही करा पाता पर मैं मानता हू की ये एक दूसरे से नहीं कही जाने वाली प्यार के तरह का ही प्यार है, जिसमें एक दूसरे का भौतिक रूप से मौजूदगी कोई मायने नही रखती. मुझे अपना गुजरा हुआ बचपन उतना याद नही आता हैं, पर जितनी भी यादें है उसमें से मेरे पापा-माँ के साथ बिताई यादें BEST हैं. मैं जब छोटा था तो मेरे से पहले मेरी बहन ( बिट्टू दीदी ) का शुभ आगमन हो चुका था. मैं जब पहले सोचता तो लगता था की मेरे दीदी को मुझेसे बहुत कम लाड़-प्यार मिला होगा, ये मेरा सोचना इसलिए था क्यूंकी बहुत कम AGE में लगभग दी 7-8 वर्ष की रही होंगी तभी पापा-माँ ने उन्हे मामी के साथ अकेले इंदौर जाने दिया. पर आज मुझे पूरा विश्वास है की उन्होनें दीदी के बेहतरी के लिए ही भेजा होगा, क्योंकि मेरे घर की स्थिति भी कुछ खास नही थी. पापा अभी कुछ खास करते ना थे, पैसा पास में होता नही होगा, कैसे बेचारे अपनी बेटी को जाने दिए होंगे ?? अब कुछ महीनों के बाद मेरे दी की शादी भी होने वाली है, फिर तो वो चली जाएँगी ये सोच सोच कर मैं रो पड़ता हूँ, तो फिर जन्म देने वालें माँ-बाप को कितना दुख होगा?? इसका अहसास तो पापा-माँ को ही होगा या जब मैं कभी बेटी का बाप बनूंगा तब कही होगा. मेरे पापा की शादी 1989 में हुई थी तो उस समय उनके पास आय के स्रोत सीमित थे, फिर भी पापा एक पत्नी और दो बेटे-बेटी का लालन पालन बहुत सही ढंग से कर पाए. मुझे नाज़ है अपने पापा पर ! इन सब समस्याओं से लड़ने के लिए मेरे पापा घर से पहली बार घर से बाहर जाकर कमाने वालों में अपना नाम दर्ज करवाएँ और निकल गये भिलाई, CHATTISGARH ( जो तत्कालीन मध्यप्रदेश था ) गणेश काका(पड़ोसी) के साथ नौकरी करने लगे. और फिर जब उन्हे लगा की अब वो कुछ स्थाई हो गये है तो वो घर आए हमें लेने के लिए, पर यहाँ मुझे फिर दुख होता है की मुझे ज़बरदस्ती माँ के साथ पापा भिलाई ले गये पर मेरी रोती बिलखती दीदी को मेरे बाबा के गोद में छोड़कर भिलाई चले आए हमलोग. खैर कोई नही अब मेरे दी भी समझदार हो गई थी, और अब तो इतना की शादी हो रही है...... मैं अब सोचता हूँ भिलाई की यादों को तो कुछ धुंधला सा मेरे जेहन में आता हैं. एक छोटा सा हालनुमा कमरा, एक किचन, बाथरूम....नहीं शायद बाथरूम नहीं था...शायद था...कुछ याद नही आ रहा. मुझे याद इसलिए नही आ रहा क्योंकि मैं कही और नहाता था. वहाँ पूर्व निर्धारित समय पर पानी आता था तो उस समस्या से निपटने के लिए मकान मालिक ने एक बड़ा सा टैंक बनवाया था, शायद माँ मुझे उसी पानी से टैंक के पास नहलाती थी. मुझे याद नही या कुछ और पर भिलाई में मुझे पापा का चेहरा अपने जेहन में आ ही नही पाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि मेरे पापा सुबह 4-5 बजे ही अपने ड्यूटी के लिए निकलते थे और शाम को 7-8 बजे तक आ पाते थे, और उसके बाद कुछ लड़कों को HOME-TUTION भी देते थे, जो बाद में उनका करियर साबित हुआ. ऐसे पापा के साथ शायद 4-5 सालों तक चला फिर पापा वहाँ से हमलोगों को लेकर घर आ गये. शायद उन्हें इस बात का पक्का यकीन हो गया था की ,"मैं घरजा कर कुछ ऐसा करूँगा जिससे सब पटरी पर आ जाएगा" और उन्होने इतना संघर्ष करने के बाद घर आकर अपने मन का किया और सफल हुए. वो खुद या समाज मानता हो या ना मानता हो पर मैं अपने पापा को 100% सफल मानता हूँ. भले ही आजकल उनके चेहरे पर कुछ मायूसी क्यों ना हो...... मुझे सब पता है ये क्यों है?? ये इसलिए की अब दीदी की शादी होने जा रही है उसके बारे में सोच सोच कर परेशान होते होंगे और इस लड़के (मेरे बारे )के बारे में सोचते होंगे की अभी इस का कुछ हुआ नहीं मतलब कॅरियर का. पर मैं कहता हू पापा आप उतार फेंको इस उदास से चेहरे को सब ठीक होगा, मैं हूँ ना!!
आप को विश्वास दिलाता हूँ की मैं भविष्य में ज़्यादा पैसा कमाऊ या नही पर कुछ ऐसा करने वाला हू की आपको मेरे उपर गर्व होगा. आप फिर किसी से कह पाएँगे की ," देखो!! वो है मेरा बेटा." ये सब केवल हवाबाजी नही हैं ये आपके संघर्षों के वजह से हैं मैने देखा है आपका संघर्ष पापा जब आप COACHING में पढ़ाते-पढ़ाते अपने आपको थका-हारा महसूस करने लगते हैं, बोर्ड पर लिखे हुए को कपड़े से मिटा मिटा कर अपने हाथ की भी जीवन रेखाए इतना घिस चुके हैं की आधार कार्ड बनवाते समय aapka बाइयोलॉजिकल SCAN नही आने के कारण aapka अभी तक आधार कार्ड नही बन पाया हैं, कभी तबीयत भी खराब हो तो आप कष्ट में भी ज़रूर जातें है पढ़ाने, सिर दर्द कर रहा हो फिर भी पढ़ाते हैं, आप ये सब हमलोगो के लिए ही करते हैं. मुझे अपने मोटिवेशन के लिए कुछ करना नही होता है बस घर आ कर आपके दिनचर्या को देख कर अपने आपकों महीनो महीनो के लिए फिट पाता हूँ. पापा मैं जल्द ही आपको आराम करने के लिए बोलूँगा और फिर हम, आप, माँ, दीदी, खुश्बू और गोलडेन घूमने जाया करेंगे, कभी यहाँ-कभी वहाँ, ढेर सारी मस्तियाँ करेंगे. आप यात्रा के बहुत शौकीन हैं, ये मैं बहुत पहले से जानता हू. पर हमारी ज़रूरतें आपकों यात्रा करने से रोक कर काम करने पर मजबूर करती हैं. MISS YOU PAPPA.