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यूनान का संकट

बड़ा सबक...... जितनी चादर हो उतना ही पैर फैलाओ ।

ग्रीस संकट की शुरुआत ........

ग्रीस के पतन की कहानी शुरू हुई थी 1999 में आए भूकंप के साथ। इस भूकंप में देश का ज्यादातर हिस्सा तबाह हो गया था और लगभग 50,000 इमारतों का पुनर्निर्माण करना पड़ा था। यह सारा काम सरकारी धन खर्च करके किया गया। 2001 में यूरो जोन से जुड़ना भी ग्रीस की भारी भूल थी। उसे उम्मीद थी कि यूरो जोन से उसे आसानी से लोन मिलेगा। इसी उम्मीद से 2004 में ग्रीस ने ओलिंपिक खेलों में अनाप शनाप पैसा खर्च कर दिया। ओलिंपिक के लिए सिर्फ सात साल में 12 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च कर दिए गए। अंदरूनी तौर पर खोखले हो चुके ग्रीस ने खातों में हेरफेर कर दुनिया को ये बताया कि उसके आर्थिक हालात काफी बेहतर हैं।
                    लेकिन 2009 में सच सामने आते ही विश्व बाजार में उसकी विश्वसनीयता खत्म हो गईउस समय ग्रीस पर उसकी जीडीपी की तुलना में 113 फीसदी कर्ज था। बावजूद ग्रीस ने 2010 में यूरोपियन सेंट्रल बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 10 अरब डॉलर का राहत पैकेज ले लिया। कुछ समय बाद दूसरा राहत पैकेज भी मिल गया। आईएमएफ ने ग्रीस की मदद इसलिए कि ताकि वहां के आर्थिक हालात में सुधार आ जाए। लेकिन ग्रीस ने कोई सबक नहीं लिया। बेलआउट ठुकराने से बढ़ी जनता की मुसीबत अभी ग्रीस की अर्थव्यवस्था कुछ रफ्तार पकड़ ही रही थी कि संसदीय चुनाव के बाद वामपंथी सिरिजा पार्टी इन वादों के साथ सत्ता में आ गई कि सरकार बनते ही बेलआउट की शर्तों को ठुकरा दिया जाएगा। इससे जनता की मुश्किलें और बढ़ गईं। यूरो जोन के देशों ने एक बार फिर ग्रीस को राहत देते हुए टेक्निकल एक्सटेंशन दिया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। ग्रीस के सामने फिर से नई मुसीबत है और दुनिया ग्रीस संकट से उबरने की दुआ कर रही है। ग्रीस की इस हालत को देख कर अब तो दुनिया भर के देशों को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. रघुराम राजन की बातों पर अधिक गौर करना चाहिए, जिसमें वो हमेशा दुनिया के देशों को अपने खर्चों पर लगाम लगाने की सलाह देते हैं। ग्रीस की ऐसी हालत का कारण उसका जरूरत से ज्यादा खर्च करना है ।

इस संकट का GREECE पर प्रभाव  ......

             Greece छोटा देश है, 1.10 करोड़ अबादी वाला। इसकी पूरी दुनिया के GDP में .5% की हिस्सेदारी है। इस संकट के कारण Greece अपनी  राष्ट्रीय आय का एक चौथाई हिस्सा खो चूका है। युवाओं की बेरोजगारी दर 50% और देश की औसत बेरोज़गारी 26% हो चुकी है । वह 76 अरब यूरो कर्ज वसूल नहीं पाया है । यहाँ 2015 के शुरूआती 6 महीनों के अंदर 8500 लघु और मध्यम व्यवसाय बंद हो चुके है। 2015 में Greece का जीडीपी 2009 के मुकाबले 25% कम माना जा रहा है ।
                     इतने छोटे और कम आबादी वाले देश की इतनी खराब आर्थिक स्थिति हो सकती है इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता था पर ऐसा हुआ और इन सबका वजह वहाँ की सरकार द्वारा किया गया फ़ालतू खर्च ही रहा जैसे- जब युनान अभी 2001 के भूकंप के सदमे से उबर ही रहा था तभी भारी खर्च करके एथेंस में 2004 में ओलंपिक कराने की क्या जरुरत थी, सरकार वहां की वामपंथी है तो क्या बस इस दिखावे के लिए की हमारी सरकार वामपंथी है हम सरकारी कर्मचारियों के सैलरी और पेंशन पर अंधाधुंध खर्च कर देंगे।

ग्रीस संकट का दुनिया पर असर........

युनान 12 लाख करोड़ रु. (जो ग्रीस के जीडीपी का 180% हैं।)कर्ज न चुका पाने के कारण IMF ने युनान को दिवालिया (Bankrupt) घोषित कर दिया है । इससे पुरे यूरोपीय संघ में आर्थिक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है, जिसका असर तब पुरे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर होगा। इस संकट के कारण दुनिया के बहुत सारे बाजार गिरने स्टार्ट हो गए है जैसे - अमेरिका, ची, जापान, हॉंगकांग, जर्मनी, फ्रांस और भारत आदि के बाजार । हालांकि यूरोपिय संघ ने Greece को इस संकट से उबारने के लिए मदद का ऑफर दिया पर greece ने इसे अपनी शान में कमी मान कर ठुकरा दिया है । अब विश्व बाजार की बची खुची उम्मीद 5 जुलाई के जनमत संग्रह पर टिकी हैं। जनता ने यदि IMF की शर्तों को मानने से इनकार कर दी तो ग्रीस के हालात बेकाबू होंगे और इसके बाद 20 जुलाई को यूरोजोन के बैठक में ग्रीस को  डिफाल्टर घोषित कर के यूरोजोन से बाहर कर दिया जाएगा । इसके वजह से greece के व्यापार का बहिष्कार हो सकता है, और यह कठोर कदम होगा । ग्रीस का आयात निर्यात बंद हो जाएगा। फिर उसे अपनी पुरानी मुद्रा ड्रैकमा अपनाना होगा। लेकिन ये आसान नहीं होगा, यूरो-ड्रैकमा की अदला बदली का अनुपात तय करना मुश्किल होगा।

ड्रैकमा अपनाने के नतीजे -
            - तो यूरो, डॉलर  के मुकाबले ड्रैकमा का मूल्य कम होता रहेगा। मुद्रा में 40% तक की गिरावट आ सकती है । इससे ग्रीस में महंगाई बढ़ेगी ।
            -NPA में इजाफा होगा, सरकारी तनख्वाह और पेंशन स्कीम के लिए पैसों का संकट खड़ा होगा ।
            - ग्रीस का जीडीपी दो तिहाई तक घट सकता है ।
            - ब्याज की वजह से greece का कुल 322 अरब यूरो का कर्ज और बढ़ता  जाएगा। कर्ज अदा करने के लिए फिर कर्ज लेना पड़ेगा ।
            - ड्रैकमा के कारण  आयत निर्यात पर भी भारी असर पड़ेगा ।
            - खतरनाक  तरह का निवेश ग्रीस में आएगा, इसके तहत दुनिया की बड़ी कंपनियां ग्रीस की कंपनियो को अधिग्रहित करेंगी ।
           - कूटनीतिक और आर्थिक रूप से ग्रीस अलग थलग पड़ जाएगा ।

क्या किया जाना चाहिए ........
            - ग्रीस का कर्ज माफ़ हो या 10 साल तक कर्ज वापसी रोक दी जाये। उसे और मदद दी जाए । वरना संकट पूरी दुनिया में फैलेगा ।
          ( जोसेफ स्टिगलिज् - नोबेल प्राइज विनर अर्थशास्त्र )
            - भारत  को ग्रीस को तुरंत अपनी  मुद्रा यानि रूपये के इस्तेमाल की पेशकश देनी चाहिए ! इससे हमारा अर्थशास्त्रीक प्रभाव यूरोप में बढ़ेगा ....

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