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Showing posts from October, 2015

निबंध कि तैयारी (अभय कुमार्)

1. निबंध के टॉपिक का चयन सही टॉपिक का चयन बेहतर अंक के लिए जरुरी है , परीक्षा में सिर्फ इस आधार पर किसी टॉपिक को न छोड़ें क्योंकि उससे सम्बंधित तथ्य एवं आंकड़ों का आपके पास अभाव है | वास्तविक अर्थों में अधिकतम टॉपिक ऐसे होते हैं जिससे आप तथ्यात्मक रूप से ज्यादा रूबरू नहीं होते हैं | निबंध परीक्षक आपसे आंकड़ों का बैंक नहीं चाहता बल्कि आपसे उस टॉपिक के ऊपर एक एप्रोच व संकल्पनात्मक स्पष्टता के साथ साथ उस विषय पर आपकी अभिवृति का परीक्षण करना चाहता है | टॉपिक के चयन का मुख्य आधार यह होना चाहिए कि आप उस टॉपिक से कितना अपने आप को कनेक्ट कर पा रहे हैं , उससे सम्बंधित सभी आयामों को कितनी सफाई से आपस में जोड़कर नए विचार , जो भविष्य उन्मुखी हों , रचनात्मक हों, सकारात्मक हों , उसे प्रस्तुत कर पा रहे हैं | अतः किसी टॉपिक के रिजेक्शन से पहले उसपर गंभीरता से विचार करें | सही टॉपिक का चयन २५ फीसदी काम आसान बना देता है और आप औसत से अधिक अंक प्राप्त करने के प्राधिकारी बन जाते हैं | किसी टॉपिक के चयन में पंद्रह मिनट से ज्यादा न लगे ,इसका विशेष ध्यान रहे | आज आपको निबंध के लिए विषयवस्तु के चयन को सिखाते ह

यह टेक्नोलॉजी दुनिया को बदल देगी

एक मशीनअमेरिका की ऑरेंज काउंटी ऑफिस के पार्क में स्थित एक सफेद इमारत में लगी है। यह एक फ्यूजन रिएक्टर का प्रोटोटाइप है। यह ट्राई अल्फा एनर्जी नामक गुप्त कंपनी का एकमात्र प्रोडक्ट है। और जब यह एवं इसके जैसी अन्य मशीनंे काम करने लगेंगी तब दुनिया को ऐसे बदल देंगी जैसा पिछली शताब्दी में किसी अन्य टेक्नोलॉजी ने नहीं बदला होगा। यह विश्व का अकेला फ्यूजन रिएक्टर नहीं है। दुनिया भर में लगभग एक दर्जन फ्यूजन रिएक्टर निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें से अधिकतर का निर्माण विश्वविद्यालयों, बड़े कार्पोरेशनों और सरकारों द्वारा किया जा रहा है। सबसे बड़े इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीइआर) पर दक्षिण फ्रांस में काम चल रहा है। एक इंटरनेशनल कंसोर्टियम द्वारा निर्माणाधीन रिएक्टर पर 1200 अरब रुपए से अधिक लागत आएगी। प्रोजेक्ट को वर्ष 2027 में पूरा करने का लक्ष्य है। फ्यूजन रिसर्च बहुत बड़े पैमाने पर समय, धन और साइंटिस्ट के करिअर को खपाने लेकिन कोई ठोस परिणाम ना देने के लिए कुख्यात रही है। पिछले दस वर्षों में स्थिति बदली है। हाई टेक अर्थव्यवस्था को चलाने वाली नई कंपनियों (स्टार्टअप्स

हाइपरलूप : परिवहन की नई तकनीक

प्रसिद्ध अमेरिकी उद्योगपति और वैज्ञानिक इलोन मस्क ने 2013 में परिवहन के लिए एक क्रांतिकारी हाइपरलूप सिद्धांत पेश किया था। तब अनेक लोगों ने इस अजीबो-गरीब आविष्कार के बारे में शंकाएं प्रकट करते हुए इस टेक्नोलॉजी को खारिज कर दिया था, लेकिन अब लगता है कि यात्रियों को ध्वनि की गति से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने की मस्क की योजना शीघ्र साकार हो सकती है। नए आविष्कार पर काम करने वाली अमेरिकी कंपनी, हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट टेक्नोलॉजिस या एचआइटी का कहना है कि वह अगले कुछ सप्ताहों के अंदर नई परिवहन प्रणाली के परीक्षण के लिए आठ किलोमीटर लंबे टेस्ट ट्रैक पर निर्माण कार्य शुरू कर देगी। हाइपरलूप में यात्रियों को 1200 किलोमीटर की रफ्तार से उनके गंतव्य तक पहुंचाने की परिकल्पना गई है। मस्क ने दो वर्ष पूर्व इस क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी का खुलासा करते हुए बताया था कि नई परिवहन प्रणाली से लॉस एंजलिस और सेन फ्रांसिस्को के बीच 610 किलोमीटर की दूरी को सिर्फ 30 मिनट में तय किया जा सकता है, जबकि विमान से इस यात्र में इसका दुगना समय लगता है। हाइपरलूप दरअसल एक विशाल लंबी ट्यूब है जिसमें से सारी हवा खींच ली जाती

स्पेक्ट्रम और 2जी-3जी-4जी-5-जी क्या है?

हाल ही में केंद्र सरकार ने स्‍पेक्‍ट्रम ट्रेडिंग की अनुमति देने के साथ ही इसके लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। इसके तहत टेलीकॉम सर्विस प्रदाता कंपनियां एक-दूसरे से अपनी आवश्यकतानुसार स्पेक्ट्रम की खरीद-बिक्री कर सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार ला सकेंगी। इससे महंगे स्‍पेक्‍ट्रम का अधिकतम उपयोग हो सकेगा और कॉल ड्रॉप की समस्‍या से बहुत हद तक राहत मिलेगी। अभी तक टेलीकॉम कंपनियां केवल नीलामी के जरिये ही स्‍पेक्‍ट्रम हासिल कर सकती थीं|                         स्पेक्ट्रम क्या है? मोबाइल फोन आने से पहले देश में पहले ' स्पेक्ट्रम ' शब्द का इस्तेमाल इंद्रधनुष के रंगों के लिए ही किया जाता था। स्पेक्ट्रम से हमारा सामना प्रतिदिन होता है, फिर चाहे वह टीवी का रिमोट हो या माइक्रोवेव ओवन या फिर धूप। आखिर यह स्पेक्ट्रम है क्या? और कैसे इस वैज्ञानिक अवधारणा को लेकर सरकारी और कारोबारी फैसले से हमारे और आपके जीवन, जनोपयोगी सेवाओं और लागत पर असर पड़ता है। स्पेक्ट्रम, ' इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम' का लघु रूप है। स्पेक्ट्रम उस विकिरण ऊर्जा को कहते हैं, जो पृथ्वी को घेरे रहती है। इस इलेक्