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Showing posts from June, 2017

सिविल सेवा परीक्षा के लिए अध्ययन सामग्री (सामान्य अध्ययन)

( स्रोत - निशांत जैन + अजय अनुराग सर) सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा पेपर-1: सामान्य अध्ययन   1. इतिहास और कला एवं संस्कृति -NCERT की पुस्तकें : क्लास : 9-12 -कला एवं संस्कृति : राष्ट्रीय ओपन स्कूल (NIOS) की पुस्तक और नितिन सिंघानिया -आधुनिक भारत का इतिहास : स्पेक्ट्रम बुक्स 2. भारतीय राजव्यस्था -NCERT की पुस्तकें : क्लास 9-12 -हमारी राजनीतिक व्यस्था : सुभाष कश्यप -भारतीय राजव्यस्था : एम. लक्ष्मीकांt -vision 365 3. भूगोल -NCERT की पुस्तकें : क्लास 9-12 -ऑक्सफ़ोर्ड स्टूडेंट्स एटलस – महेश चंद्र बर्णवाल 4. पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी -NCERT & NIOS की पुस्तकें -पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी : दृष्टि प्रकाश -Vision 365 5 . अर्थव्यस्था -NCERT की पुस्तकें : क्लास 9-12 -भारतीय अर्थव्यस्था : रमेश सिंह (टीएम प्रकाशन) -Mrunal's Lecture -नवीनतम बजट और आर्थिक सर्वेक्षण भारत (ईयर बुक) - Vision 365 6. सामान्य विज्ञान -NCERT की पुस्तकें : क्लास 9-12 - करंट अफेर्स- Vision 365 7. समाचार पत्र और पत्रिकाएं - ‘द हिन्दू ’ और दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) -मास

कैसे करें हिंदी साहित्य की तैयारी : निशान्त जैन 

कैसे करें वैकल्पिक विषय- हिन्दी साहित्य की तैयारी चूँकि सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में मेरा वैकल्पिक विषय ' हिन्दी भाषा का साहित्य ' था, जिसमें मुझे सौभाग्य से 500 में से 313 अंक प्राप्त हुए थे, जो 2013 में बदले नए पैटर्न के बाद अभी तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ सर्वाधिक हैं। ऐसे अभ्यर्थी, जिन्होंने सोच-विचारकर इसी विषय को मुख्य परीक्षा में चुना है, मैं उनके लिए इस विषय के बारे में कुछ विस्तार से प्रकाश डालने की कोशिश करूँगा। क्यों चुनें - - अंकदायी विषय - हिन्दी माध्यम के लिए सुरक्षित विषय - सहज, रुचिकर और आनंददायी विषय - 3-4 माह में तैयारी संभव - करेंट अफेयर्स से अपडेट करने की ज़रूरत नहीं  - निश्चित और स्पष्ट पाठ्यक्रम - लेखन कौशल का विकास।  निबंध, एथिक्स में मिल सकता है फायदा। - विषय का बैकग्रॉउंड ज़रूरी नहीं। यद्यपि मैंने हिन्दी साहित्य में M.A., M.Phil. किया है पर अधिकांश सफल अभ्यर्थियों की पृष्ठभूमि साहित्य की नहीं होती। (एक उदाहरण- CSE 2014 में रैंक 49, पवन अग्रवाल ने इंग्लिश मीडियम से परीक्षा उत्तीर्ण की, पर वैकल्पिक विषय हिन्दी साहित्य था ) क्यों

बजट से जुड़ें कुछ तकनिकी शब्द

योजनागत और गैरयोजनागत व्यय सरकारी बजट के मोटे तौर पर दो भाग होते हैं- आय और व्यय। इसके बाद व्यय को भी दो हिस्सों में बांटा जाता है- प्लान्ड एक्सपेंडिचर (योजनागत व्यय) और  नॉन प्लान्ड एक्सपेंडिचर (गैरयोजनागत व्यय)। इनमें से योजनागत व्यय का एस्टिमेट विभिन्न मंत्रालयों और योजना आयोग द्वारा मिल कर बनाया जाता है। इसमें मोटे तौर पर वे सभी व्यय आते हैं जो विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर किया जाता है। गैरयोजनागत व्यय के दो हिस्से होते हैं- गैरयोजनागत राजस्व व्यय और गैरयोजनागत पूंजीगत व्यय। गैरयोजनागत राजस्व व्यय में जो व्यय आते हैं, उनमें शामिल हैं- ब्याज की अदायगी, सब्सिडी, सरकारी कर्मचारियों को वेतन की अदायगी, राज्य सरकारों को अनुदान, विदेशी सरकारों को दिए जाने वाले अनुदान आदि। गैरयोजनागत पूंजीगत व्यय में शामिल हैं- रक्षा, पब्लिक इंटरप्राइजेज को दिया जाने वाला कर्ज, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और विदेशी सरकारों को दिया जाने वाला कर्ज।   क्या है पूंजीगत व्यय और राजस्व व्यय कैपिटल एक्सपेंडिचर या कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) किसी सरकार द्वारा किया जाने वाला वह व्यय होता है जो भ